Suraj Tiwari Success Story, नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी एक नई और शानदार पोस्ट में दोस्तों अभी के समय में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो किसी भी काम को करने की क्षमता रखते हैं कहां जाता है कि अगर मान लो तो जीत हैऔर अगरकिसी भी चीज को अपने मानते ही नहीं या ठनते ही नहीं है तो उसे चीज के लिए हम सबसे पहले ही हार जाते हैं।
दोस्तों हमारे देश में बहुत सारी ऐसी सक्सेस कहानी है जिसे देखकर हमें बहुत ही ज्यादा मोटिवेशन देखने को मिलता है और हम उन कहानियों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में किसी भी मुकाम तक पहुंच सकते हैं ठीक है सीट नहीं आज हम आपके साथ एक ऐसी सक्सेस कहानी शेयर करने वाले हैं जिसे देखकर आप खुद हैरान हो जाएंगे और इस कहानी से प्रेरणा लेकर अगर आप दिल से कोई भी काम करने के ठान लेंगे तो आप उसे मुकाम तक पहुंचने.ज्याद समय नहीं लेंगे।
दोस्तों किसी भी काम को अगर हम दिल से करना चाहते हैंतो उसे काम को करने के लिए हमारे रास्ते में कितनी भी रुकावट आए हम उन सभी रूकावटों को पार करके एक अच्छे मुकाम तक पहुंच सकते हैं और हमारे करियर को एक सफल करियर बना सकते हैं।
दोस्तों आज हम आपके साथ एक ऐसे शख्स की कहानी शेयर करने वाले हैं जिसका नाम सूरज तिवारी है,और वह मैनपुर के रहने वाले हैं इन्होंने कुछ समय पहले इस की परीक्षा पास की है अगर हम आपको इनके बारे में बताएं तो उनके दोनों पैर नहीं है एक हाथ नहीं है और दूसरे हाथ के सिर्फ दो उंगलियां हैं यह सब चीज ना होने के बावजूद भी आज यह IAS के पद पर पदोन्नति है।

सूरज तिवारी एक मध्यम वर्गीय परिवार के रहने वाले हैं उनके परिवार में उनके पिताजी हैं जो दर्जी का काम करते हैं और उनकी माता घर का काम करती है उनके घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के बावजूद भी इन्होंने IAS की परीक्षा के लिए तैयारी की और पहले ही एग्जाम में उन्होंने IAS की परीक्षा पास कर दी।
IAS की परीक्षा में इन्होंने 917 में रैंक प्राप्त की और यह बहुत ही हैरान कर देने की वाली बात है कि इस व्यक्ति ने अपना पहला IAS का एग्जाम दिया और पहले ही एग्जाम में उन्होंने 917 में रैंक प्राप्त करके अपने परिवार का और अपने राज्य का नाम रोशन किया।
सूरज तिवारी का 2017 में एक बहुत ही भयानक एक्सीडेंट हुआ इस एक्सीडेंट में उन्होंने अपने दोनों पैर और एक हाथ को दिया थाफिर भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने परिवार को एक विकट परिस्थिति से गुजरते हुए देखकर उन्हें बहुत दुख हुआ और इसी दुख के चलते इन्होंने ठान लिया कि मैं IAS की तैयारी करूंगा और अपने परिवार की इस गरीबी को दूर करूंगा।

सूरज तिवारी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरे दोनों पैर और एक हाथन होने के बाद मैंने कभी भी अपने आप को यह एहसास नहीं होने दिया कि मेरे पास अभी कुछ नहीं है यानी कि मेरे हाथ और पर नहीं है मैं अपने आप को हमेशा मोटिवेट करता रहता और अपने और अपने परिवार की गरीबी को खोजता रहता फिर मैं निर्णय किया कि मैं हर नहीं मानूंगा और अपने परिवार का और अपने राज्य का नाम रोशन करूंगा।
दोस्तों इसीलिए कहा जाता है की मां को तो जीत है ना मानो तो आपकी हर पहले से ही है।दोस्तों इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि किसी भी काम को करने के लिए कोई भी परिस्थिति हो कोई भी समस्या हो हमें उसे समस्या को बुलाकर अपने दृढ़ निश्चय के साथ मेहनत करते रहना है हमें एक ने एक दिन बहुत ही अच्छा मुकाम मिलेगा इसके बारे में हमने सिर्फ सोच और महसूस किया था वह एकदिन हमारे पास होगा।